आज से अन्ना हजारे मौन व्रत पर बैठ रहे हैं. हर किसी को थोड़ी हैरानी सी हो रही है अचानक ये क्यों हुआ? अभी अन्ना जी को मौन व्रत का निर्णय क्यों लेना पड़ा? लेकिन हमें पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम की विवेचना करने पर बात समझ में आ जाएगी.
अन्ना जी और उनकी टीम के आन्दोलन के पीछे पूरा देश खड़ा हो गया था. समाज के सबसे शोषित व्यक्ति की आँखों में भी अन्ना नामक ज्योति ने आशा की एक किरण जगाई थी, देश-वासियों को (इस काल में) पहली बार (क्रिकेट के अलावा) एक राष्ट्र होने का अहसास जगाया था. हर किसी के दिल में एक भरोसा जगाया था.
लेकिन ये अचानक क्या हुआ? प्रशांत भूषन के एक बयान ने करोड़ों दिलों में अन्ना की टीम पर एक अविश्वास की टीस उभार दी. हम भारतीय सब कुछ बर्दाश्त कर लेते है लेकिन ये घाव जहाँ पर हुआ उसे बर्दाश्त करना मुश्किल था और इस बात का एहसास अन्ना जी को तुरंत हुआ और उनकी प्रतिक्रिया भी हमने सुनी और पढी.
ये अन्ना जी के लिए आत्म-मंथन का दौर है. वे जानते है की 120 करोड़ लोगों के भरोसे के कारण उनपर उतनी ही भारी जिम्मेदारी भी ही है. टीम अन्ना का कोई बयान कम से कम इनदिनों व्यक्तिगत नहीं माना जायेगा. अभी आन्दोलन समाप्त नहीं हुआ है. वे अभी पूरी तरह से सभी की निगाहों में है.
आन्दोलन का स्वरुप आगे कैसा हो, हिसार में उनके रुख से पैदा हुए राजनैतिक हालत एवं इसकी प्रतिक्रियाए तथा प्रशांत भूषन के बयान से उपजा विवाद. ये शायद कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर अन्ना जी अपने मौन-व्रत के दौरान चिंतन करेंगे और हमें ये उम्मीद हैं की इस चिंतन के सकारात्मक परिणाम इस देश को प्राप्त होंगे. आखिर उनके अभियान/ आन्दोलन से जुडी है, 120 करोड़ लोगों की, उम्मीदें जिन्दगी की.
Showing posts with label अन्ना हजारे मौन व्रत. Show all posts
Showing posts with label अन्ना हजारे मौन व्रत. Show all posts
Saturday, October 15, 2011
Subscribe to:
Posts (Atom)