Monday, December 15, 2008

अभी कई मंजिलें तय करनी हैं

पिछली पोस्ट में अनिल जी ने जो दास्तान सुनाई है मेरे विचार से ये दास्तान सिर्फ़ रमेश की नहीं, उन लाखों बाढ़ पीड़ितों की है, जिनका सर्वस्व कोसी ने छीन लिया. मारवाड़ी युवा मंच ने ठण्ड से कांपती इनकी बेबसी को अपनी सेवा की गर्माहट दी है. हमारे संसाधन और फंड सीमित हैं, फ़िर भी हमने हजारों कम्बल बाँटें हैं. ३००० से अधिक परिवारों को "घर वापसी किट" बाँटें हैं. इन किट्स में एक परिवार की जरुरत के सारे सामान दिए गए हैं, लगभग ५५ लाख की लागत से संपन्न हुआ यह प्रोजेक्ट, हमारे महत्वाकांक्षी पुनर्वास प्रोजेक्ट की सफलता का प्रथम सोपान है. अभी कई मंजिलें तय करनी हैं तथा कई लक्ष्य पाने हैं. मानवता की सेवा के इस व्रत में युवा मंच साथियों, हमारे समस्त सहयोगियों और दान-दाताओं का सहयोग हमें उदारतापूर्वक प्राप्त हुआ है और हमें विश्वास है की सबके सहयोग से हम उजड़े हुए घरों को फ़िर से बसा कर, फ़िर से जगायेंगे - उम्मीदें जिन्दगी की
- जगदीश चंद्र मिश्र "पप्पू"

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