Thursday, November 20, 2008

त्रासदी

बाढ़ की मार तो हम हर वश झेलते हैं किंतु प्रलय तो जीवन में पहली बार देखि और महसूस की सिर्फ़ कुछ घंटो में बिहार के ६ जिले उफनती कोसी के रौद्र रूप से सहम गए प्रचंड वेग के साथ जब सैलाब आया तो अपने साथ हजारों जिंदगियों को बहा ले गया जब तक कुछ समझ में आता तो मुरलीगंज, वीरपुर जैसी जगहों पर आठ फुट से ऊपर पानी और अधिकांश जगहों पर चार से पाँच फुट पानी अत्यधिक तेज धार के साथ प्रवाहित हो रहा था बिहार के ६ जिले समा गए कोसी के प्रलयंकारी समुद्र में बिहार का शोक, महाशोक बनकर सर पर टूट पड़ा कोसी ने अपनी गोद में बसी बस्तियां बेरहमी से उजाड़कर अपने ही पेट में समा ली। विकराल नागिन बनकर अपने ही बच्चो को निगलकर खा गयी। अस्सी साल का सुदामा जार-बेजार रो रहा है। भूख से कराह रही है आंते ऐंठ कर। कराली कोसी ने क्यो उसे जीवित छोड़ दिया उखड़े पेड़ के डाली पर। किसके लिए जीयेगा वह? पोते-पोतियों को बचाने में तीन-तीन बेटों और बहुओं को विषैली नागिन सी फुफकारती कोसी के कराल मुख ने अपने में समा लिया। आज एक नही, दो नहीं, हजारों सुदामा की यह दर्दनाक दास्ताँ कराली कोसी की प्रलयंकारी लहरों में भीषण वेदना की दर्द भरी चीख बनकर गूँज रही है। आज सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, फोरबिसगंज, पूर्णिया, खगडिया के साथ पूरे बिहार की आंखों से सावन-भादों बनकर गंगा-जमुना बह रही है। महाप्रलय में डूबे ४० लाख लोगो के साथ पूरा बिहार सुबक-सुबक कर रोया। कोसी ने अपने आँचल को फ़िर से मैला कर लिया।
इस आपदा की घड़ी में कुछ हाथ बेसहारों का सहारा बनकर उठे थे, ये हाथ हमारे मंच साथी थे। कोसी की लहरों से टकराते युवा मंच के हौसले को सलाम, सलाम सभी युवा साथियों को जिन्होंने जाने - अनजानों के लिए अपनी जान भी दाँव पर लगा कर सेवा भावना की अद्वितीय मिसाल पेश की। एक महीने से अधिक समय तक अपने व्यापार, व्यवसाय, परिवार और अपने आप को भी भुला कर पीडितों की सेवा की, उनके दुःख दर्द दूर करने के लिए अपने आपको न्योछावर कर दिया। धीरे धीर सारी बातें अतीत में धुंधली हो जायेगी, लेकिन हम कैसे भुला देंगे निर्मली शाखा के सदस्यों को जिन्होंने ११ दिनों से भूखे, मदरसे के ५०० बच्चो समेत हजारों जिंदगियों को अन्न एवं पीने योग्य पानी पहूंचाया। नमन है दिनेश शर्मा, बिनोद मोर, अभिषेक पंसारी और पूरी टीम को। हम कैसे भुला देंगे मनीष चोखानी, त्रिवेणीगंज के साहस को जिसने ९० से अधिक व्यक्तियों को पूरी तरह डूब चुके जदिया गाँव से, पानी के तेज़ धार के बीच से नाव से बचाकर सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया। सुभाष वर्मा और नोगछिया शाखा के साथियों को जिन्होंने मधेपुरा के डूबे हुवे गावों में भोजन और राहत सामग्री पहूँचाई। मनीष बुचासिया और सिल्क सिटी शाखा जो पानी के तेज़ धार से लड़ते हुवे लखीपुर और खेरपुर पहुंचते है जिंदगियां बचाने को।
राघोपुर सिमराही शाखा के गोपाल चाँद जब रोती हुई माँ के बच्चे को खोज कर लाते हैं तो मान की आशीसों ने नदी की धार के साथ किए गए श्रम की थकान को भुला दिया।
ऐसी अनगिनत कहानियां और उदाहरण गवाह हैं - हमारे युवा मंच के साथियों के शौर्य के और यही है कोसी की लहरों से टकराती राजस्थानी हौसले की जिद।
- सरिता बजाज, खगडिया (बिहार)

2 comments:

  1. बाढ़ पीडितो के सहायतार्थ आप के सबल नेतृत्व में बिहार के मंच साथियों ने जो कार्य किया है, उससे न सिर्फ़ हर एक मंच सदस्य बल्कि हर एक मारवारी का सर गर्व से ऊँचा हुवा है.
    आपका यह आलेख meramanch.blogspot.com में भी प्रकाशित हुवा है.
    meramanch.blogspot.com के हम सभी सहयोगी आप को हमारे इस ब्लॉग पर invite करते हैं. यदि सम्भव हो तो अपना mail ID हमें इस पते पर भेजें. manchkibaat@gmail.com

    ओमप्रकाश अगरवाला, गुवाहाटी
    94350-24252

    ReplyDelete
  2. WITHOUT INVESTMENT EARNING
    Sit Back Earning monthly$k
    http://goodearningsites.blogspot.com
    http://www.noinvestmentearn.50webs.org
    http://onlinework.50webs.com
    http://tinyurl.com/op934b
    HAPPY EARNING
    regards
    anandji

    ReplyDelete